उजाले अपनी यादों के हमारे पास रहने दो,
न जाने किस गली में, जिंदगी की शाम हो जाए।
-- बद्र बशीर
न जाने किस गली में, जिंदगी की शाम हो जाए।
-- बद्र बशीर
कोई कहता है अगर हमको बुरा, कहने दो,
किसको मालूम है हालात, चलो सो जाएं।
-- नज्म मुजफ्फरनगरी
किसको मालूम है हालात, चलो सो जाएं।
-- नज्म मुजफ्फरनगरी
न जाने किसकी हमें उम्र भर तलाश रही,
जिसे करीब से देखा वो दूसरा निकला।
-- अज्ञात
जिसे करीब से देखा वो दूसरा निकला।
-- अज्ञात
कांटा समझ कर मुझसे न दामन बचाइए,
गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूं।
-- मुशीर झझानवी
गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूं।
-- मुशीर झझानवी
हों गर्दिश में जब भी किसी के सितारे,
तो मुंह फेर जाते हैं अपने भी सारे।
-- हमदम लायलपुरी
तो मुंह फेर जाते हैं अपने भी सारे।
-- हमदम लायलपुरी
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