कबीर के दोहे
----------------
कंकड़ पत्थर जोड़ के मस्जिद लियो बनाय.
ता चढ़ मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय.
कबीर गर्व न कीजिए, ऊंचा देखि आवास
काल परौं भूईं लेटना, ऊपर जमसी घास
कबीर गर्व न कीजिए, ऊंचा देखि आवास
काल परौं भूईं लेटना, ऊपर जमसी घास
कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।
No comments:
Post a Comment