Saturday, July 9, 2016

बारिश विशेष : शेरो शायरी,हिन्दी/उर्दू कहकशां - बारिश, बरसात,घटा,मौसम

Best Message collection of Barish, Barsat, Ghata, Mausam in Hindi Shayari 

छत जमींदोज थी काई दरों-दीवार पे थी,
अबके घर लौट के जब आया मैं, बरसात के बाद।
-- स्व. रजा हैदरी


दूर तक छाए थे बादल पर कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।
-- क़तील शिफ़ाई


किसने भीगी हुई जुल्फों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी।
-- आरज़ू लखनवी


बारिश में किस क़दर है तपिश वो बताएंगे,
तनहाइयों में जिनके बदन आग हो गए।
-- राहत सईद अख़्तर


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