बेहतरीन शेरो शायरी - सावन, घटा, बरसात, बादल, मौसम
सावन की घटा छाई फिर याद तेरी आई,
फिर दिल की उमंगों ने ली झूम के अंगड़ाई,
-- हामिद ज़ार
फिर दिल की उमंगों ने ली झूम के अंगड़ाई,
-- हामिद ज़ार
सहरा में बरसती हुई ये कली घटाओ,
प्यासा है मेरा शहर इधर भी चली आओ.
-- काविश हैदरी
प्यासा है मेरा शहर इधर भी चली आओ.
-- काविश हैदरी
बेसबब उसको अश्कों से नफरत नही,
उसका घर जल गया होगा बरसात में.
-- नामालूम
उसका घर जल गया होगा बरसात में.
-- नामालूम
बारिश का खौफ घूप का डर भी नहीं रहा,
इस बार हादसात में घर भी नहीं रहा.
-- नामालूम
इस बार हादसात में घर भी नहीं रहा.
-- नामालूम
छा गया सर पे मेरे गर्द का गहरा बादल,
अब के सावन भी गया मुझपे न बरसा बदल.
-- नश्तर
अब के सावन भी गया मुझपे न बरसा बदल.
-- नश्तर
दिल तोड़ के जाते हो बरसात के मौसम में,
क्यों आग लगाते हो बरसात के मौसम में.
-- काविश हैदरी
क्यों आग लगाते हो बरसात के मौसम में.
-- काविश हैदरी
दूर तक छाए थे बादल पर कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था.
-- कतील शिफई
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था.
-- कतील शिफई
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