Best Message collection of Barish, Barsat, Ghata, Mausam in Hindi Shayari
छत जमींदोज थी काई दरों-दीवार पे थी,
अबके घर लौट के जब आया मैं, बरसात के बाद।
-- स्व. रजा हैदरी
अबके घर लौट के जब आया मैं, बरसात के बाद।
-- स्व. रजा हैदरी
दूर तक छाए थे बादल पर कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।
-- क़तील शिफ़ाई
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था।
-- क़तील शिफ़ाई
किसने भीगी हुई जुल्फों से ये झटका पानी,
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी।
-- आरज़ू लखनवी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी।
-- आरज़ू लखनवी
बारिश में किस क़दर है तपिश वो बताएंगे,
तनहाइयों में जिनके बदन आग हो गए।
-- राहत सईद अख़्तर
तनहाइयों में जिनके बदन आग हो गए।
-- राहत सईद अख़्तर