Monday, July 6, 2015

कहकशां - बारिश, बरसात, घटा, सावन


बेहतरीन शेरो शायरी - सावन, घटा, बरसात, बादल, मौसम

सावन की घटा छाई फिर याद तेरी आई,
फिर दिल की उमंगों ने ली झूम के अंगड़ाई,
-- हामिद ज़ार

सहरा में बरसती हुई ये कली घटाओ,
प्यासा है मेरा शहर इधर भी चली आओ.
-- काविश हैदरी

बेसबब उसको अश्कों से नफरत नही,
उसका घर जल गया होगा बरसात में.
-- नामालूम

बारिश का खौफ घूप का डर भी नहीं रहा,
इस बार हादसात में घर भी नहीं रहा.
-- नामालूम

छा गया सर पे मेरे गर्द का गहरा बादल,
अब के सावन भी गया मुझपे न बरसा बदल.
-- नश्तर

दिल तोड़ के जाते हो बरसात के मौसम में,
क्यों आग लगाते हो बरसात के मौसम में.
-- काविश हैदरी

दूर तक छाए थे बादल पर कहीं साया न था,
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था.
-- कतील शिफई

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